गांव की चुड़ैल कहानी…..

मैं  एक रात में गाँव जा रहा तो था तो मैंने रात में देखा कि एक टोनही ( नृत्य ) झुप रही थी| पता चला वो रात आम रात नहीं थी वह रात थी हरेली की रात उस रात गाँव को बाँध दिया जाता है,और कोई भी इंसान गांव से बाहर नहीं जाता है,और गांव के सारे लोग गाँव में ही रहते है|

एक बार की बात है हमारे गाँव में चाचीजी चुड़ैल थी,पर चाचा को कभी यकीं नहीं होता था, तो उस रात गाँव  के लोंगो ने हरेली का दिन चुना चाचाजी को यकीन दिलाने के लिए की चाची चुड़ैल है|

तो उस हरेली की रात जब आयी तो चाचाजी ने चाची की साडी में एक सुराग कर दिया निशान देहि के लिए फिर रात में जब चाची झुपने ( नृत्य ) करने गयी तो चाचा को डेह रोटी दी जो की खत्म होने का नाम नहीं ले रही थी,चुड़ैल लोग कभी भी पूरी रोटी नहीं देते एकाध रोटी आधी दे देते है|

जब चाचीजी झुप रही थी तब किसी ने चाचा को बुलाया और जब चुड़ैल हरेली की रात नृत्य करती है,तो वह अपने साडिया उतर देती है| तब वह चाचाजी ने देखा की साडी वही पड़ी थी फिर चाचाजी को यकीं हुआ की चाचीजी सच में टोनही( चुड़ैल) है फिर चाचाजी फ़फ़क -फ़फ़क कर रोने लगे.

 मेरी यह कहानी छत्तीसगढ़ के बुजुर्गो के द्वारा में कॉलेज टाइम में मुझे सुनायी गयी थी,और इसकी सच्चाई के बारे में मैं कुछ नहीं कह सकता हूँ|

मेरी यह कहानी छत्तीसगढ़ के बुजुर्गो के द्वारा मुझे ,कॉलेज टाइम में सुनायी गयी थी.और इसकी सच्चाई के बारे में मैं कुछ नहीं कह सकता हूँ|

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